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तिल चिक्की और तील के गुण - Til Chikki


तिल चिक्की और तील के गुण - Til Chikki 



सर्दियों में कुनकुनी तिल चक्की खाने का मजा ही अलग हैं। 
और  तिल से शरीर को ऊर्जा मिलती है। 
तिल के सेवन से न केवल पेट के बीमारियों बल्कि 
अन्य कई बीमारियों में भी लाभ मिलता है। 
तिल में अनेक प्रकार के प्रोटीन जैसे कैल्शियम, आयरन, 
ऑक्जेलिक एसिड, अमीनो एसिड, प्रोटीन, विटामिन बी, सी तथा 
ई प्रचुर मात्रा में होता हैं। 
तिल तीन प्रकार के होते हैं- काले, सफेद और लाल। 
काले तिल सभी तिलों में श्रेष्ठ होते हैं। 
सर्दियों में तिल और गुड़ को समान मात्रा में लड्डू बना ले। 
इनका सेवन प्रतिदिन 2 बार दूध के साथ करें 
इससे मानसिक दुर्बलता एंव तनाव दूर होते हैं 
साथ ही सांस फूलना जल्दी बुढ़ापा आना बंद हो जाता है। 
अगर बच्चा रात को सोते हुए पेशाब करते देता है तो 
उसे यह लड्डू हर रोज रात में सोने से पहले खिलाइए, 
बच्चा सोते वक्त पेशाब नहीं करेगा। 
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इसे बनाना बहुत ही आसान है।
सामग्री-:तिल 200 ग्राम 2 कप
गुड 200 ग्राम छोटे टुकडे 2 कप
घी-2 चम्मच
पिस्ते व काजू चूरा मनचाही मात्रा में।

बनाने की विधि-: 
एककढाई आग पर रख कर गरम कीजिये, 
तिल डालिये और धीमी आंच पर तिल हल्के ब्राउन होने तक 
तिल करारे होने तक भून लीजिये। 
तिल को ज्यादा मत भूनिये वे स्वाद में कडवे हो जाते हैं। 
भुने तिल निकाल कर अलग प्लेट में रखिये। 
तिल ठंडे होने पर एकदम मोटे-मोटे पीस लीजिये। 
लकडी के बोर्ड पर या किचन टाप पर घी लगाकर चिकना कीजिये।
कढाई में 1 छोटी चम्मच घी डालिये और गुड के टुकडे डालकर पिघलाइये, 
पिघलने के बाद कलछी से चलाते हुये 2 मिनट तक और पका लीजिये।
चाशनी में मोटे पिसे तिल डालिये और अच्छी तरह मिलाइये। 
मिश्रण को कलछी से उठाकर चिकनी की गई जगह पर रखिये 
मिश्रण गरम ही रहे, 
ठंडे मिश्रण जग जायेगा और मिश्रण को पतला बेलने में कठिनाई होगी। 
घी से अपने हाथ चिकने कीजिये और मिश्रण कोचौकोर आकार दीजिये, 
थप थपाकर चपटा कर लीजिये, 
कतरे हुये पिस्ते ऊपर से डाल दीजिये।
 बेलन को घी लगाकर कीजिये, 
मिश्रण को हल्का दबाव देते हुये बढाइये।
आप तिल पट्टी को जितना पतला बेलना चाहें बेल लीजिये। 
बेली हुई तिल पट्टी पर चाकू से अपने 
पसंद आकार के अनुसार काट कर निशान दीजिये। 
तिल पट्टी को ठंडा होने के लिये रख दीजिये। 
ठंडा होने के बाद बोर्ड से तिल पट्टी चाकू की मददसे निकाल लीजिये। 
अब तैयार है स्वादिष्ट तिल पट्टी तैयार है। 
अब आप इससे किसी कंटेनर में रख सकती है। 
आप चाहें तो पट्टी की जगह गोल लड्डू भी बना सकते हैं
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तील के अन्य लाभ...
sesame for piles
तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड 
(mono-unsaturated fatty acid) होता है जो शरीर से 
बैड कोलेस्ट्रोल को कम करके गुड कोलेस्ट्रोल यानि 
एच.डी.एल. (HDL) को बढ़ाने में मदद करता है। 

यह हृदय रोग, दिल का दौरा और धमनीकलाकाठिन्य 
(atherosclerosis) के संभावना को कम करता है।

तिल के तेल की सिर में मालिश करने से 
न केवल बाल घने और चमकदार होते हैं 
 बल्कि बालों का गिरना भी कम हो जाता है। 

इसके साथ किसी भी प्रकार की चोट में 
तिल के तेल का फाहा रख कर पट्टी बांधने से भी शीघ्र लाभ होता है। 

अगर आपको पुरानी बवासीर है तो प्रतिदिन 
दो चम्मच काले तिल को चबाकर खाइए 
और उसके बाद ठंडा पानी पीजिए। 
इसके रोजाना सेवन से पुराना बवासीर भी ठीक हो जाती है। 

तिल में सेसमीन (sesamin) नाम का 
एन्टीऑक्सिडेंट (antioxidant) होता है 
जो कैंसर के कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के साथ-साथ
उसके जीवित रहने वाले रसायन के उत्पादन को भी रोकने में 
मदद करता है। 

यह फेफड़ों का कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, 
प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर और 
अग्नाशय के कैंसर के प्रभाव को कम करने में बहुत मदद करता है। 

फटी हुई एड़ियों पर गर्म तिल के तेल में सेंधा नमक और 
मोम मिलाकर लगाने से फायदा होता है। 

तिल को पीस कर मक्खन के साथ मिला कर नियमित रूप से चेहरे पर लगाने से चेहरे का रंग निखरता है।

20-25 ग्राम तिल चबाकर उपर से गर्म पानी पिलाने से 
पेट का दर्द ठीक हो जाता है। 

अगर आपको खांसी है तो तिल का सेवन कीजिए खांसी ठीक हो जाएगी। 
अगर सूखी खांसी है तो तिल व मिश्री को पानी में उबाल कर 
पीने से सूखी खांसी भी दूर हो जाती है। 

तिल में डायटरी प्रोटीन और एमिनो एसिड होता है 
जो बच्चों के हड्डियों के विकसित होने में और 
मजबूती प्रदान करने में मदद करता है। 
उदाहरणस्वरूप 100ग्राम तिल में लगभग 
18 ग्राम प्रोटीन होता है, 
जो बच्चों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी होता है।
तिल में ज़रूरी मिनरल जैसे कैल्सियम, आयरन, 
मैग्नेशियम, जिन्क, और सेलेनियम होता है 
जो हृदय के मांसपेशियों को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है और हृदय को नियमित अंतराल में धड़कने में मदद करता है। 

अध्ययन के अनुसार तिल के तेल से शिशुओं को मालिश करने पर 
उनकी मांसपेशियाँ सख्त होती है 
साथ ही उनका अच्छा विकास होता है। 
आयुर्वेद के अनुसार इस तेल से मालिश करने पर शिशु आराम से सोते हैं।
तिल में फोलिक एसिड होता है जो गर्भवती महिला और 
भ्रूण के विकास और स्वस्थ रखने में मदद करता है।

डिपार्टमेंट ऑफ बायोथेक्सनॉलॉजी विनायक मिशन यूनवर्सिटी, तमिलनाडु 
(Department of Biothechnology at the Vinayaka Missions University, Tamil Nadu) 
के अध्ययन के अनुसार 
यह उच्च रक्तचाप को कम करने के साथ-साथ 
इसका एन्टी ग्लिसेमिक प्रभाव रक्त में 
ग्लूकोज़ के स्तर को 36% कम करने में मदद करता है 
जब यह मधुमेह विरोधी दवा ग्लिबेक्लेमाइड 
(glibenclamide) से मिलकर काम करता है। 
इसलिए टाइप-2 मधुमेह (type 2 diabetic) रोगी के लिए 
यह मददगार साबित होता है।

इसमें नियासिन (niacin) नाम का विटामिन होता है 
जो तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है।

तिल में जिन्क और कैल्सियम होता है जो अस्थि-सुषिरता से संभावना को कम करने में मदद करता है।

तिल का सेवन हेल्दी तरीके से करें। 
इसको अपने आहार में शामिल करने से पहले भून लें। 
किसी भी तरह के सलाद में इसको छिड़क कर खा सकते हैं 
या तिल के लड्डू, तिल की पूरी भी बनाकर भी खा सकते हैं। 
खाना बनाने में तिल के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 
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धन्यवाद.
हाकिम :- याकूबरज़ा ऐ. (MIMS)

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